Tourism पर्यटन
छत्तीसगढ़ पर्यटन के क्षेत्र मे बहोत ही धनी है और यहा की प्रकृति बहोत ही लुभावनी है। यहा के पर्यटन मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल जी और मुख्य
मंत्री डॉ॰ रमनसिंह ने पर्यटन के क्षेत्र मे बहोत काम किए जिस वजय से यहा का पर्यटन बहोत ही प्रसिद्ध और सुंदर है।
यहा के पहाड़, नदी , बाँध, जंगल और मंदिर बहोत ही मनमोहक है। तथा छत्तीसगढ़ राज्य सरकार यहा के प्रकृति को और अच्छा बनाने के लिए सतत प्रयास कर रही है।
बिलासपुर जिले का पर्यटन (Tourism)
बिलासपुर छत्तीसगढ़ का तीसरा सबसे बड़ा शहर है जो अरपा नदी के तट पर बसा है।
यहा साउथ ईस्टर्न सेंट्रल रेल्वे का मुखियालय है जिससे पर्यटको को यहा पहुचने मे बहोत ही आसानी होती है , तथा यहा पर्यटको के लिए बस की भी सुविधा है जिसे वो आसानी से काही भी जा सकते है।
तथा बिलासपुर के चारो ओर प्रकृतिक महोल भी बहोत ही लुभावने है। यहा पर्यटको के ठहरने की भी सुविधा बहोत अच्छी है अच्छे- अच्छे होटल (East Park, Chandrika, Geeta, Ajit, etc.) और धर्मशाला भी है, जिसे पर्यटको को कोई परेशानी नहीं होती।
बिलासपुर जिले के popular पर्यटन क्षेत्र----मल्हार और रतनपुर, अचानकमर जंगली पशु अभियारन
रतनपुर
रतनपुर बिलासपुर जिला का एक नगरपंचायत है, जो बिलासपुर से २५ कि॰ मी॰ की दूरी पर कोरबा, अम्बिकापुर रोड पर स्थित है।
रतनपुर को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है।
रतनपुर का प्राचीन नाम रतनापुर है।
रतनपुर के कुछ प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल और बांध ---
महामाया मंदिर,
काल-भैरव मंदिर,
लखनी देवी मंदिर,
वृद्धेश्वर नाथ मंदिर (बूढ़ा महादेव),
श्री गिरिजाबंध हनुमान मंदिर,
रामटेकरी मंदिर,
खुटघाट
महामाया मंदिर
यहा की सबसे प्राचीन मंदिर है जिसे महाराजा रत्न देव ने ईस्वी सन् 1050 में बनवाया था। इस मंदिर की बहुत माननीयता है इसके दर्शन के लिए लोग बहोत दूर –दूर से आते है। मंदिर के मुख्य परकोटे के अंदर, प्रसिद्ध कंठी देवल मंदिर तथा मुख्य ताल के सामने मां महामाया की अद्भुत प्रतिमा द्वय है ,
सामने की प्रतिमा मां महिषासुर मर्दिनी की तथा पीछे की मां सरस्वती की मानी जाती है। वैसे, सरसरी निगाह से देखने वाले को पीछे की प्रतिमा दिखाई नहीं देती। नवरात्र के समय न सिर्फ देश के कोने कोने से वरन देश के बाहर से लाखों की संख्या में श्रद्धालुगण मंदिर पहुंचकर मां के दर्शन कर तथा अर्चना कर अपने आपको धन्य समझते हैं।
महामाया मंदिर के चरो ओर और भी पुरातत्व मंदिर है जो हल ही मे बनवाए गए है जिसके बारे मे लोग बहुत कम ही जानते है( जैसे - कंठी देवल मंदिर) , तथा मंदिर के आस पास प्राकृतिक वातावरण भी बहोत अच्छा है और इसके पीछे एक वाटिका भी है जो खासकर पर्यटको के भ्रमण के लिए है।
काल-भैरव मंदिर, महामाया मंदिर से ३ कि॰ मी॰ पहले बिलासपुर मार्ग पर स्थित है। काल-भैरव की प्रतिमा पत्थर से निर्मित नौ फीट ऊंची है।
माना जाता है की महामाया देवी के दर्शन करने के बाद काल-भैरव का दर्शन करना हर एक भक्त के लिए जरूरी होता है क्योकी भैरव बाबा को महामाया देवी का द्वारपाल माना जाता है।
लखनी देवी मंदिर हरे भरे वृक्षों से ढंकी एक पहाड़ी पर स्थित है। पहाड़ी के पत्थरों को काटकर सीढ़ियां बनाई गई हैं। मंदिर पौराणिक पुष्पक विमान की शक्ल में है।
इस मंदिर का निर्माण पंडित गंगाधर शास्त्री के द्वारा तेरहवीं सदी में बनवाया गया था।
रतनपुर का एक और सबसे प्रसिद्ध स्थान
राम टेकरी जो की पहाड़ी पर स्थित राम-जानकी की विशाल मंदिर है। यहा श्रीराम, सीताजी एवं हनुमानजी की ग्रेनाइट पत्थर से बनी सुंदर प्रतिमाएं हैं। इस मंदिर का निर्माण मराठा राजा शिवाजीराव भोंसले ने करवाया था। सीधी चढ़ाई वाले इस मंदिर तक कार द्वारा जाया जा सकता है।
यह प्रसिद्ध मंदिर रतनपुर से लगभग 3 किमी दूरी पर कोरबा मार्ग पर है।
वृद्धेश्वर नाथ मंदिर और गिरिजाबन्ध हनुमान मंदिर राम टेकरी पहाड़ी के दोनों ओर स्थित हैं।
इन मंदिरों के श्रद्धालुगण भी भारी संख्या में दर्शनों के लिये आते हैं। वृद्धेश्वर नाथ या बूढ़ा महादेव रतनपुर के सबसे रहस्यमय और चमत्कारिक मंदिरों में से एक है।
यह मान्यता है की यदि इसके शिवलिंग पर हज़ारों घड़े भी जल चढ़ाया जाए तो भी लिंग का जल स्तर वही रहता है। यही नहीं, अत्यंत सूखे के दिनों में भी, जब नदी तालों में पानी दिखाई नहीं पड़ता, यहां का जल स्तर वहीं का वहीं रहता है।
कांसे की मिश्र धातुसे निर्मित यह शिवलिंग सदैव एक आभा लिये हुए रहता है। रतनपुर आकर इनका दर्शन अवश्य करना चाहिये।
रामटेकरी के पूर्व में स्थित
श्री गिरिजाबंध हनुमान मंदिर का निर्माण कल्चुरि राजा पृथ्वी देव ने लगभग संवत् 1170 ई में करवाया था।
पुरातात्त्विक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण इस मंदिर का स्तूप लाल पत्थर से निर्मित है।
अंदर हनुमान जी की विराट प्रतिमा है जिसमें उन्होंने श्री रामजी को अपने कंधों पर बैठाया हुआ है। यह मान्यता है कि इस मंदिर में की गई मनोकामना हनुमानजी शीघ्र ही पूरी करते हैं।
पिकनिक स्पॉट
खूंटाघाट बांध रतनपुर से 10 किमी की दूरी पर कोरबा मार्ग पर है। यह खारुंग नदी पर बना है। इसकी सुंदरता बरसात मे देखनी होती है
यह बहोत ही सुंदर दिखाई देता है। यहा बहोत अच्छे वाटिका और बोटिंग भी है।