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रोजगार दफ्तर से लेकर मंत्रालय तक ठगों का जाल
रायपुर. मंत्रालय में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी के पीछे एक संगठित गिरोह के सक्रिय होने के संकेत हैं। नए मंत्रालय में शिफ्टिंग के बाद थोक में नौकरी के दरवाजे खुलने का हवाला देकर राज्य के दर्जनों युवकों से बड़ी ठगी करने का अंदेशा है। ठगों का जाल रोजगार कार्यालय से मंत्रालय तक फैला है। मंत्रालय से जारी होने वाले नौकरी के पुराने आदेशों में कांट-छांट कर किसी का नाम हटाकर किसी का भी जोड़कर बेरोजगारों से ठगी की जा रही है।

शनिवार को पुराने मंत्रालय डीकेएस भवन के गेट पर गिरफ्तार दलाल ने कई चौंकाने वाले राज खोले हैं। उसके बयान से ऐसा माना जा रहा है ठगों ने चपरासी और चौकीदार जैसी छोटी पोस्ट के नाम पर ठगी करने की जैसे दुकान खोल रखी है। गिरोह के सदस्य रोजगार दफ्तरों से सरगुजा, सूरजपुर, बैकुंठपुर, जशपुर, बस्तर और देवभोग जैसे दूरस्थ इलाकों के बेरोजगारों का नाम व पता लेकर उनसे संपर्क कर नौकरी दिलाने के सपने दिखाते हैं।

बलरामपुर का शातिर ठग बुधराम पांडू उस गिरोह की अहम कड़ी माना जा रहा है। उसका कनेक्शन कुछ शासकीय कर्मचारियों और मंत्रालय के स्टाफ से है। उन्हीं की मदद से वह बेरोजगारों के सामने ऐसी तस्वीर पेश करता है कि ग्रामीण युवक आसानी से झांसे में आ जाते हैं। शनिवार को भी पांडू ने जशपुर के बुधराम और रामप्रसाद को झांसा देकर ठगी करने का प्रयास किया। पांडू युवकों को यहां लेकर आया। उसने दोनों को पुराने मंत्रालय भवन गेट पर रोका और खुद खाली भवन में दाखिल हो गया। बाहर आकर उसने फर्जी सरकारी सील वाला लिफाफा थमाया और पैसे ले लिए।

फर्जी सील-सिक्के से दिया जा रहा झांसा

मंत्रालय में सेटिंग होने के कारण ठगों का गिरोह रिक्त पदों की जानकारी निकलवाता है। उसी की जानकारी दिखाकर ग्रामीण व पहुंचविहीन इलाके के युवाओं को पक्की नौकरी दिलाने का झांसा दिया जाता है। बेरोजगारों से आवेदन वगैरह लेने के बाद आधे पैसे ले लिए जाते हैं।

उस आवेदन को जमा तो किया जाता है, लेकिन नौकरी नहीं लगने पर फर्जी सील सिक्के से किसी भी पुराने आदेश में कांट-छांट की जाती है। जिन युवकों से पैसे लिए जाते हैं, उनके नाम बड़ी सफाई से आदेश में जोड़कर उन्हें थमा दिया जाता है। हकीकत खुलने के बाद में बेरोजगार युवक कुछ नहीं कर पाते। ज्यादातर युवकों को लगता है कि उन्होंने रिश्वत देकर अपराध किया है। इस वजह से वे विरोध तो दूर पुलिस में शिकायत तक नहीं कर पाते।

सिक्योरिटी गार्ड जांच के घेरे में

डीकेएस भवन से मंत्रालय खाली हो चुका है। आम लोगों को भीतर जाने की अनुमति नहीं है। गेट पर सुरक्षा गार्ड तैनात है। ऐसी स्थिति में पांडू के बेधड़क अंदर चले जाने से वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों की भूमिका सवालों के दायरे में है। पांडू को गेट पर मंत्रालय नई राजधानी में शिफ्ट होने का हवाला देकर रोक दिया जाता तो वह पैसे नहीं ले पाता।
19-11-2012
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