रायपुर. जिस देश में भगवान के बराबर गुरू को दर्जा दिया गया है उसको दिया जाना वाला सम्मान भी अब बिकने लगा है। हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर कई संस्थाएं गुरुओं का सम्मान करती हैं, लेकिन उनमें से कुछ उनसे पहले ही पैसे लेने लगी हैं।
ऐसा ही एक मामला धमतरी का सामने आया है। अनुसूचित जाति विकास परिषद ने कई शिक्षकों के नाम व पते हासिल कर उनको व्यक्तिगत पत्र भेजे हैं। शिक्षकों से कहा गया है कि संस्था उन्हें सर्वोच्च सम्मान सर्व पल्ली डॉ. राधाकृष्णन राज्य स्तरीय सम्मान देना चाहती है।
उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए उनका चयन समिति ने किया है। लेकिन संस्था ने शर्त रखी है कि इसके पहले शिक्षकों को 1100 रुपए पंजीयन शुल्क संस्था के पदाधिकारी के बैंक खाते में या मनीऑर्डर के जरिए जमा करना जरूरी है। शिक्षकों से बायोडाटा, प्रविष्टि, फोटो, जीवन परिचय भेजने को कहा गया है। बिना जीवन परिचय जाने शिक्षकों का चयन कैसे हो गया, इस पर पदाधिकारी कहते हैं जानकारों ने उनके नामों की अनुशंसा की है। राजधानी के कुछ शिक्षकों ने इस संस्था के पदाधिकारियों से मिलकर संदेह भी दूर करने की कोशिश की है, लेकिन पैसे लेकर सम्मान को लोग उचित नहीं मान रहे।
इधर, शिक्षाविदों का मानना है कि सरकारी तौर पर दिए जाने वाले जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर के सम्मानों पर से लोगों का भरोसा टूटा है। बीते कई सालों से पक्षपातपूर्ण तरीके से पुरस्कार बांटे गए हैं। यही वजह है कि इस साल कई जिलों से शिक्षकों ने सम्मान के लिए आवेदन ही नहीं किए। शासन के कड़े पत्र जाने के बाद कुछ आवेदन और आए। राजधानी समेत कई स्थानों पर ऐसे शिक्षक राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय सम्मान पा चुके हैं जिनका करियर दागदार रहा है। नकल कांड, उत्तरपुस्तिका कांड से लेकर जुए व शराब सेवन के आरोप भी लगे। उन्होंने कभी उल्लेखनीय काम नहीं किए। इस वजह से पात्र शिक्षक हतोत्साहित हुए हैं। अधिकारी मानते हैं कि कुछ लायक शिक्षकों को पता नहीं होता कि आवेदन कैसे करें। केंद्रीय शिक्षक प्रकोष्ठ के अनुसार तो गलत तरीके से या सरकार को धोखे में रखकर कोई सम्मान पा लेता तो उसका पुरस्कार छीना जा सकता है।
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