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कीटनाशक से फसल नष्ट, कंपनी-विक्रेता देंगे हर्जाना
रायपुर .
खरपतवार से रक्षा के लिए फसल में कीटनाशक डालना एक किसान को महंगा पड़ गया। इससे खरपतवार तो नष्ट नहीं हुए, उसकी फसल जरूर चौपट हो गई। किसान ने कीटनाशक विक्रेता के खिलाफ फोरम में वाद दायर किया।
फोरम ने विक्रेता और कंपनी को दोषी करार देते हुए ब्याज समेत क्षतिपूर्ति का आदेश दिया। राज्य में संभवत: यह पहला मामला है, जब ख्रराब कीटनाशक के लिए किसी कंपनी को क्षतिपूर्ति देने को कहा गया है।
आरंग निवासी महेंद्र पटेल, बेटी उषा और दामाद गंगाराम पटेल ने अपने सात एकड़ खेत में धान की रोपाई की थी। खरपतवार को नष्ट करने के लिए उन्होंने नामिनो गोल्ड कीटनाशक खरीदा। दवा का निर्माता व उत्पादक पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड उदयपुर (राजस्थान) है।
इसका डिस्ट्रीब्यूटर पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड भनपुरी है और विक्रेता आरंग स्थित प्रदीप बीज भंडार है। कंपनी के कर्मचारियों ने इस ब्रांड के कीटनाशक के उपयोग का डेमो देकर उपयोग की विधि बताई। परिवादियों ने इसी के अनुसार उसका उपयोग किया। लेकिन खरपतवार नष्ट होने की बजाय धान की फसल ही खराब हो गई। करीब 175 बोरा धान का उत्पादन नष्ट हो गया। एक बोरे की कीमत 750 रुपए की दर से लगभग 1.31 लाख रुपए का नुकसान हुआ। किसान ने इसकी शिकायत दवा विक्रेता से की। उसने मुआवजा देने से इनकार कर दिया।
इस पर परिवादी ने फोरम में वाद दायर किया। कंपनी ने कहा कि वह 45 सालों से कीटनाशक बना रही है। कंपनी के सारे उत्पादों की जांच आधुनिक उपकरणों से होती है। यदि परिवादी को नुकसान हुआ तो वह स्वयं की लापरवाही व नासमझी के कारण हुआ है।
1.31 लाख के साथ ब्याज भी मिलेगा
फोरम ने कहा कि फसल वर्ष 2010 में खराब हुई। नामिनो गोल्ड रासायनिक पदार्थ है। किसान ने दवा के इस्तेमाल में सावधानी बरती थी, उसके बावजूद फसल नष्ट हो गई। अत: परिवादी को कंपनी और दुकानदार से 1.31 लाख रुपए पाने का अधिकार है। इस पर 6 प्रतिशत ब्याज, पांच हजार मानसिक व एक हजार वाद-विवाद भी देय है।
26-11-2012
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