नवगठित महासमुन्द जिला छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य-पूर्व में 3,902 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ हैं। यह जिला भौगोलिक रूप से 20 डिग्री 47 अंश से 21 डिग्री 31 अंश 30 मिलीडिग्री अक्षांश और 82 डिग्री 00 अंश से 83 डिग्री 15 अंश 45 मिली डिग्री देशांश पर स्थित हैं। महासमुन्द जिले की सीमाए छत्तीसगढ़ राज्य के अन्य जिले रायगढ़ और रायपुर से जुड़ी हुई हैं। तथा साथ ही पड़ोसी राज्य उड़ीसा के नवापारा और बरगढ़ जिले भी इसकी सीमाओ से लगे हुए हैं।
महासमुन्द जिले में आद्य महाकल्प (आर्कियन) काल की ग्रेनाईट शिलाओ सें लेकर उपरी पूर्व कैम्ब्रियन (अपर प्रि-कैम्ब्रियन )की कुडप्पा समूह की स्तरित चटट्ाने तथा अभिनव काल (रिसेन्ट) के जलोढ़ एवं बालू पाये जाते हैं। यहॉ नूतन ग्रेनाइट एवं डोलेराइट तथा क्वार्टज की अन्तर्वेधित शिलाऍ (इन्टूसिव राक्स) भी पाई जाती हैं।
ग्रेनाईट शिलाऍ महासमुन्द जिलें के बागबाहरा, पिथौरा, तथा बसना क्षेत्रों में पाई जाती हैं। उपरी पूर्व कैम्ब्रियन की कुडप्पा समूह की समकालीन छत्तीसगढ़ समूह की चूनापत्थर चट्टाने जिसमें महानदी के किनारे मिलने वाली चूनापत्थर की परतदार चट्टाने, शेल तथा सेन्डस्टोन/क्वार्ट्जाइट की चट्टाने सम्मिलित हैं, का विस्तार जिले के अधिकांश हिस्सो में हैं।
महासमुन्द जिले में पाये जाने वाले प्रमुख खनिजों में स्वर्णधातु, टिन, अयस्क, सीसा अयस्क, फ्लुओराइट, बेरिल तथा शिलाओ में ग्रेनाइट एवं लाइमस्टोन फर्शीपत्थर की गणना की जा सकती हैं। यहॉ पाये जाने वाले लाइमस्टोन फर्शीपत्थर भवनों में फर्श के रूप में तथा कटिंग- पालिशिंग के पश्चात् टाइल्स, टेबल टॉप आदि के रूप में बहुतायत से उपयोग में लाये जा रहे हैं।
महासमुन्द जिले मे बोली जाने वाली भाषा मुख्यतया `छत्तीसगढ़ी` हैं पर हिन्दी भी गांवो में बोली जाती हैंं। जिले के दो ब्लॉक सरायपाली और बसना, उड़ीसा राज्य से लगे हुए हैंं इसलिए यहां पर `उड़िया` भी बोली जाती हैं।
छत्तीसगढ़ से जुड़ी हुई पंरपराओ का निर्वाह करते हुए यहां के लोगो के जनजीवन में भी इसका खासा असर हैंं। जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में मूलत: निवास करने वाले लोग साधारण वेशभूषा में दिखाई देते हैं। पुरूष सामान्यतया `धोती कुर्ता`, `गमछा` पहनते हैं और सिर में पागा (पगड़ी) का प्रयोग करते हैं साथ ही पैरो में एक विशेष प्रकार का जूता पहनते हैं। जिसे `भदई` कहते हैं। महिलाए सामान्यतया `साड़ी और ब्लॉउज`(लुगरा-पोलगा) पहनती हैं तथा अपने पैरो में एक विशेष जूता जिसे `अटकारिया` कहते हैं पहनती हैं। छत्तीसगढ़ी महिलाओ की भांति भी यहंा की महिलाए अपने सौन्दर्य के प्रति बहुत ध्यान देती हैं। आभूषणो में मुख्यतया बिछिया, पैरपटटी जिसे पांव में पहनते हैं। कमर में कमरबंध या करधन पहनती हैं। महिलांए नांक में `फुल्ली` एवं कान में `बाला` पहनती हैं। उड़ीसा से लगे हुए क्षेत्र जैसे सरायपाली एवं बसना की महिलाएं जामुनी एवं हरे रंग की साड़िया शौक से पहनती हैं।