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मल्हार :-
मल्हार बिलासपुर जिले का एक पुरातत्व स्थान है जहा 10वी और 11वी शताब्दी के मंदिर देखने को मिलेंगे। मल्हार बिलासपुर से लगभग ३० कि॰ मी॰ की दूरी पर स्थित है। यहा के अधिकतर मंदिर जो है बहोत ही प्राचीन और बहोत ही सुंदर है जैसे- पतलेश्वर केदार मंदिर, गोमुखी शिवलिंग मंदिर और डिडनेश्वरी मंदिर। डिडनेश्वरी मंदिर का निर्माण कल्चुरी समाज द्वारा किया गया था। यहा के पुरातत्व समानों को एकत्र करके तथा सुरक्षित रखने लिए सरकार द्वारा म्यूज़ियम का भी निर्माण किया गया है।

अचानक मार्ग पशु सनरक्षण केंद्र

अचानक मार्ग पशु सनरक्षण केंद्र, जंगली पशु उद्यान है जो बिलासपुर से ५५ कि॰ मी॰ की दूरी पर स्थित है। यह एक प्रसिद्ध राष्ट्री उद्यान है, जिसकी स्थापना पशु सनरक्षण अधिनियम १९७२ के तहत सन १९७५ मे हुआ। यह ५५७. ५५ वर्ग कि॰ मी॰ क्षेत्रफल पर फैला हुआ है। यहा विभिन्न प्रकार के जीव जन्तु पाये जाते है जैसे- बंगाल टैगर, हिरण, जंगली भैस, बंदर इत्यादि , तथा यहा का जंगल बहोत ही हारा भरा और डरावना भी है।

जांजगीर-चांपा जिले का पर्यटन (Tourism)
जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़ राज्य का एक जिला है जो छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण पर बिलासपुर जिले से अलग हो कर बना। यहा पर्यटन के सुंदर और अच्छे अच्छे स्थान है जैसे:- चंद्रहासिनी देवी मंदिर, चंदरपुर , विष्णु मंदिर जांजगीर , शिवरीनारायण लक्ष्मीनारायना मंदिर, लक्ष्मनेस्वर मंदिर खरोद
चंद्रहासिनी देवी मंदिर चंद्रहासिनी देवी मंदिर महानदी के तट पर चंदरपुर,जांजगीर-चांपा जिले मे बसा है। यह जांजगीर-चांपा जिले का बहोत ही प्राचीन और महत्व पूर्ण पर्यटन स्थल है। यह डभरा तहसील से २२ कि॰ मी॰ की दूरी पर स्थित है। यहा का नजारा हर साल की नवरात्रि के समय बहोत ही अच्छा और घूमने लायक रहता है। इस समय लोगो की भीड़ बहोत ज्यादा होती है, यहा दर्शन के लिए लोग बहोत दूर दूर से आते है इस लिए इस समय यहा बहोत ही अच्छा और घूमने मे आनंद होता है।
विष्णु मंदिर जांजगीर का सबसे प्राचीन मंदिर है जो भीमा तालाब के किनारे बसा है। इसकी स्थापना १२ वी सदी मे राजा हैहय वंश ने करवाई थी। इस मंदिर को नाटका मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की रचना दो भागो मे की गयी है जो की अभी भी अधूरा है।
शिवरीनारायण बिलासपुर से लगभग ७० कि॰मी॰ की दूरी पर सारंगढ़ मार्ग पर महानदी के तट पर स्थित है। यह स्थान शबरी दाई का जन्म स्थान है जिसके बारे मे रामायण मे बताया गया है, जिनके हाथो से श्री राम भगवान को जूठे बैर खाते हूये बताया गया है। इसी के वजय से यह स्थान बहोत प्रसिद्ध है। और यहा शबरी आश्रम भी है। शिवरीनारायण का और सबसे प्रसिद्ध स्थान है यहा की लक्ष्मीनारायण मंदिर जिसके स्थापना हैहय द्यनसती ने करवाया था। शिवरीनारायण मे माघ पुर्णिमा के समय एक १५ दिवसी मैले का आयोजन किया जाता है जो बहोत ही ज्यादा प्रसिद्ध है।


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