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Kharoud Janjgir-Champa/खरौद जांजगीर-चाम्पा

•परिचय:
ग्राम खरौद भगवती चित्रोतपल्ला “महानदी” के उत्तरी तट पर स्थित है। यह छत्तीसगढ़ मे जांजगीर-चाम्पा जिले मे दक्षिण भाग पर स्थित एक सुंदर और प्राचीनता के साथ गौरवमय इतिहास को समेटे बैठा है। इसके चारो ओर आज भी प्राचीन दुर्गा व खाइयो के अवशेष देखने को मिलेगे। इसके पश्चिम दिशा मे भगवान लक्ष्मणेश्वर के डमरू का निनाद, पूर्व दिशा मे शीतला माता का आधिपत्य, उत्तर दिशा मे ‘रामसागर’ तथा ‘डघेरा’(देवघरा) तालाब तथा शबरी देवी का कलात्मक मंदिर पर्यटको को स्वागत द्वार है।
सम्पूर्ण ग्राम खरौद धार्मिक भावनाओ का जीता-जागता स्वरूप है। जहाँ विभिन्न संस्कृति परिपाटी को अमर बनाये रखने का हमेशा प्रयत्न किया जाता है। आज भी यहा ग्राम पूजा-अर्चना, संध्या, व्रत-उपवास आदि कार्यो की रक्षा मे प्रयत्नशील है। दूसरी ओर यह ग्राम बंधु अपने पूर्वजो के धरोहर रामलीला, रास नाटक, गम्मत, कर्मा आदि कार्यक्रमों के प्रदर्शन मे रुचि रखते है। संगीत एवं वाधो की ध्वनि यहा कभी भी सुनी जा सकती है।

•इतिहास:
प्राचीनकाल से ही खरौद ग्राम लखेशर क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र महकोसल जनपद के अंतर्गत था। महकोसल के उत्तर मे कोसल का दूसरा नाम अवध था अवध से मित्र करने के लिए यह प्रदेश महकोसल कहलाया। चौथी शताब्दी मे महकोसल का राज्य क्रमश: उत्तर दक्षिण मे महेंद्र तथा व्याघ्रराज नामक शासकों के अधीन था। इससे यह सिद्ध होता है की महकोसल का दक्षिण मार्ग अर्थात प्राचीन छत्तीसगढ़ के भूभाग कल्चुरियों के शासन मे आया था।
यह ग्राम चित्रोत्पला महानदी से एक मील दूर बसा हुआ है। ऐसा कहा जाता है की एक समय करवा ऋषि सिवाहा पर्वत मे तपश्या कर रहे थे। उनके कमंडल मे गंगाजल था। गंगा जी ने ऋषि को तपश्या मे तल्लीन देख कर विचार किया की मैं अब पुरषोतम क्षेत्र की शरण लू गी इसलिए गुप्त होकर वहा से चल पड़ी वह मार्ग मे क्रमशा राजिम के कुलेश्वर लिंग फिंगेश्वर के फिंगेश्वर्लिंग और सिरपुर के गंधेस्वर लिंग का पाद पर चालन करती हुई चित्रोतपला के समीपस्थ भगवान शिव के लखेशर लिंग के चरणों को धोने के लिए खरौद शिवरीनारायाण के पास आयी। ऋषि की उपेक्षा से क्रोधीभिभूत गंगा जगदीश मंदिर को समूल उखाड़ना चाहती थी, यह जानकर नारद जी ने आकर उससे का गंगे ! तुम अपनी धारा चौड़ी करो इससे ही विश्व कर्मा द्वारा निर्मित इस दृढ़ मंदिर को उखाड़ सकेगी। इससे गंगा ने अपनी प्रवाह चौड़ी कर लिया । तथा नारद जी वचन से उसे नहीं उखाड़ सकी आज भी उड़ीशा मे उस स्थान को कटक के पास अठारह नारा बीसा झोरी के नाम से पुकारते है।
एक किंबदंती यह भी है की रावण वध के पश्चात राम और लक्ष्मण के अयोध्या लौटने पर उन पर ब्रम्ह हत्या का आरोप लगाया गया। ऋषियों ने कहा कि जिस प्रकार राम ने ब्रम्ह हत्या के पूर्व ही रामेश्वर लिंग कि स्थापना करके उससे मुक्ति पा ली, उस प्रकार लक्ष्मण ने नहीं किया। अतः तब तक उसकी ब्रम्हा हत्या दूर नहीं होगी जब तक वह शिवलिंग स्थापना नहीं करेगा। इसी समय राम ने अश्वमेघ यज्ञ करने का भी निश्चय किया किन्तु लक्ष्मण भाई कि ब्रम्हाहत्या के कारण उसमे अवरोध पैदा हो रहा था। उससे चिंतित हो कर लक्ष्मण जी शिवभिषेख के लिए समस्त तीर्थों का जल प्राप्त करने अयोध्या से प्रस्थान किए। घूमते समय उन्हे क्षयरोग हो गया तथा उनकी नासिक से रक्त प्रवाह होने लगा। ऐसा कहा जाता है कि उनके क्षयरोग का कारण मेघनाद के द्वारा चलाई गई शक्ति का प्रभाव था इससे लक्ष्मण जी को यहा शिव कि तपश्या करनी पड़ी प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने लक्षलिंग के रूप मे उन्हे दर्शन देकर पार्थिव पूजन का आदेश दिया इससे लक्ष्मण जी कि ब्रम्हहत्या और क्षयरोग दोनों दूर हो गये आज भी लक्ष्मणेश्वर दर्शन के संबंध मे क्षयरोग-निवारण लक्ष्मणेस्वर दर्शनम यह प्रसिद्ध है।

•विवरण
छत्तीसगढ़ के इतिहास मे खरौद का स्थान विभिन्न दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस भूभाग मे प्रामाणिक रूप से त्रिपुरी के हैहय वंशी राजाओ के शासन का उल्लेख शिलालेखों द्वारा पुष्ट होता है हैहय वंशी ही बाद मे कलचूरी वंश का संस्थापक है। इस वंश का प्रारम्भ स्व॰ राय बहादुर डॉ॰ हीरालाल के अनुसार प्राचीन ताम्रलेक आदि के आधार पर सन ५८० ई॰ माना जाता है।
मंदिर भारत की संस्कृति के बोलते हुए चित्र है। लक्ष्मणेस्वर खरौद ग्राम में पूर्वाभिमुख प्रधान देव मंदिर के रूप में वह स्थित है। इसके चतुर्दिक पाषाण निर्मित एक प्राचीर है। इसका निर्माण अल्पकालिक प्रतीत होता है। प्राचीर के अंतर्गत ७४ हाथ लंबा तथा ३२ हाथ चौड़ा एक पाषाण का चबूतरा है। तथा इसके चरो ओर और भी मंदिरो के अच्छे अद्भुत चित्रण है।
How To Reach
कैसे पहुचे खरौद जो की छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले मे स्थित है वह जाने के लिए सबसे अच्छा साधन है ट्रेन, बस, और फिर खुद की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था —
अगर आप बस से यात्रा करना चाहते है तो यह जगह बिलासपुर से ६५ कि॰ मि॰ कि दूरी पर सारंगढ़ मार्ग पर खरौद ग्राम पर स्थित है।
और अगर आप ट्रेन से यात्रा करना चाहते है तो निकटतम रेल्वे स्टेशन है बिलासपुर, और और अकलतरा और बिलासपुर से ६५ किलोमीटर की दूरी पर खरौद ग्राम पर स्थित है।
और निकटतम हवाई अड्डा है रायपुर।